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अब कितना सहेंगे

अब कितना सहेंगे, हम ये सवाल उठाते हैं, वोट देकर जिसे जिताया, वो हमसे मुँह छिपाते हैं। हमारे सपनों की छाया में, उसने जो वादे किए थे, पांच साल तक उसका चेहरा, बस तस्वीरों में दिखे थे। जनता की आवाज़, अब कहाँ गुम हो गई, सत्ता की गलियों में, बस उसकी जयकार हो गई। हमने…

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हार नहीं मानूंगा

हार नहीं मानूंगा,चाहे जितनी भी आए विपत्ति, हार नहीं मानूंगा।सत्य के पथ पर कांटे बिछे हैं हजार,पैर हैं लहूलुहान, मगर दिल में है सच्चा साहस, हार नहीं मानूंगा। राम ने लड़ा, कृष्ण ने भी,सत्य के लिए अनेकों योद्धाओं ने किया संघर्ष,उनके सामने भी आईं कठिनाइयाँ,मैं तो बस एक साधारण इंसान हूँ,पर उनके पदचिह्नों पर चलूंगा,…

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ज़िंदगी की नौकरी

नौकरी में उलझी ज़िंदगी, कहाँ जीने का जूनून। समय का न मिलना, जैसे, हर पल बन जाए एक सज़ा। तन्हा दिल, तन्हा सफर, सब कुछ होकर भी अकेले, पराया जगह काट खाता, यादों में बस माँ ही बसी रहती। मुस्कुराती उसकी सूरत, दिल को चैन सी देती है, दो पैसे कमाना ज़रूरी, पर क्या यह…

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“गाँव की यादों में बसी जिंदगी”

गाँव का जीवन, वो मासूम कहानी, जहाँ सुबह की धूप में मिलती थी रोटी, पेड़ों की छांव में बचपन बीता, और खेतों की मिट्टी में जिंदगी सजी। गाँव था वो, जहाँ दिल की धड़कन, कभी बैलगाड़ी की लय में थिरकन, जहाँ हर गली में होती थी पहचान, हर एक चेहरा था अपनों का निशान। पर…

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बेकारी का अंधेरा

बेरोजगारी की आग में जल रहा मन, महंगाई की लहरों में डूब रहा जन। रोटी की भीख माँग रहा, आंसू बहा रहा, सपनों का महल, धीरे-धीरे ढहा रहा। किसान का दर्द, गहरा हो रहा है, मेहनत का फल, हाथ से छूट रहा है। धन-धान्य की बरसात में, वो रो रहा है, समाज और नेता, आँखें…

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