बिहार की एक खासियत यह है कि वहाँ के लोग चाय को ‘चाय’ नहीं, बल्कि ‘टी’ कहते हैं। अब यह तो सच है कि चाहे आप इसे ‘चाय’ कहें या ‘टी’, इसके स्वाद में कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन बिहारियों का जज़्बा और उनकी अनोखी शैली यह दिखाती है कि वे हमेशा भीड़ से अलग रास्ता चुनते हैं। टी के प्रति उनके प्रेम को बयां करना भी बिहारी ह्यूमर का एक हिस्सा है, जिसमें उनकी खासियत और अद्वितीयता झलकती है।
बात करें “चाय-फाई” की, तो यह शब्द भी इसी तरह की रचनात्मकता और ह्यूमर का एक उदाहरण है। “चाय-फाई” एक हिंदी शब्द है जो “चाय” और “वाई-फाई” के युगल प्रयोग से बना है। इसका मतलब है कि आप चाय की चुस्कियों के साथ-साथ इंटरनेट का भी आनंद ले सकते हैं। यह शब्द खासतौर पर सोशल मीडिया पोस्ट्स और मेम्स में इस्तेमाल होता है, जहाँ लोग चाय और इंटरनेट के मेल को मजेदार और दिलचस्प तरीके से पेश करते हैं।
तो जब आप बिहार की धरती पर कदम रखें और वहाँ के लोगों को ‘टी’ कहते सुनें, तो समझ जाइए कि यह उनके जीवन का एक हिस्सा है, जो उनके ह्यूमर और रचनात्मकता का एक अनोखा अंदाज है। और जब आप “चाय-फाई” का आनंद लें, तो यह भी मान लीजिए कि यह बिहारियों की रचनात्मकता और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी के साथ इंटरनेट के मेल का ही एक उदाहरण है।