त्यौहार की खुशबू, बचपन की याद,
पापा के कंधे, माँ के हाथ का स्वाद।
त्यौहार का मौसम, सब कुछ था खास,
जीवन की आपाधापी में, वो रह गया पास।
वो दिन जब सब साथ मिलकर हंसते,
माँ के हाथ के बने खाने से दिल भरते।
पापा की बातों में थी वो मिठास,
त्यौहार की रातों में, सब कुछ था खास।
अब तो दिन भी वो वैसे नहीं आते,
यादों में ही सब रह जाते, छूट जाते।
पर इस बार, जरूर, वो पल लौटाएँगे,
बहुत दिनों बाद, सब संग त्यौहार मनाएंगे।
खुशियों के संग, फिर वही बात होगी,
माँ की रसोई, पापा का साथ होगा।
बचपन की यादों को फिर से जीएंगे,
त्यौहार की खुशियों में सब खो जाएंगे।