ज़िंदगी की नौकरी
नौकरी की इस दौड़ में, ज़िंदगी रह गई पीछे कहीं, ज़िंदगी जीने का जूनून था, अब तो बस कागज़ों में सिमटी है वहीं। समय का न मिलना, एक पुरानी कहानी बन गई, तन्हा रह गए हम, जैसे भीड़ में खोई ज़िंदगी की रवानी। सब कुछ होकर भी अकेले, ये कैसा है सिलसिला, पराया जगह काट…