अब कितना सहेंगे

अब कितना सहेंगे, हम ये सवाल उठाते हैं, वोट देकर जिसे जिताया, वो हमसे मुँह छिपाते हैं। हमारे सपनों की छाया में, उसने जो वादे किए थे, पांच साल तक उसका चेहरा, बस तस्वीरों में दिखे थे। जनता की आवाज़, अब कहाँ गुम हो गई, सत्ता की गलियों में, बस उसकी जयकार हो गई। हमने…

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